![somvar aarti in hindi](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjHXCV8X-Lj88-vq6qhG4eDHp70iIt3Z-LPYd7-MNPdT2QYzRuDIrdaJbMxENvqsz1UfJtNvCYXF2aU9W5BiLkzYb-R2JAhabG8YyWJzCjMJf2MJrQTtkoMcobKBKSMfolc_g5-2nh-i1La/s1600/somvar-aarti.jpg)
सोमवार की आरती
जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा।ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॰॰॰॥
एकानन चतुरानन पंचानन राजे।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॰॰॰॥
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॰॰॰॥
अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॰॰॰॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॰॰॰॥
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता॥
ॐ जय शिव ओंकारा॰॰॰॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका॥
ॐ जय शिव ओंकारा॰॰॰॥
काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॰॰॰॥
त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॰॰॰॥