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पर्वतवासिनी ज्वाला माता की आरती, Jwala Mata Aarti in Hindi

jwala mata aarti in hindi

श्री पर्वतवासिनी ज्वाला माता की आरती

सुन मेरी देवी पर्वतवासनी
कोई तेरा पार ना पाया। टेक ॥
पान सुपारी ध्वजा नारियल
ले तेरी भेंट चड़ाया ॥

सुवा चोली तेरी अंग विराजै
केसर तिलक लगाया ।
नंगे पग मां अकबर जाकर
सोने का छत्र चडाया ॥

ऊंचे-ऊंचे पर्वत बना देवालाय
नीचे शहर बसाया ।
सत्ययुग त्रेता द्वापर मध्ये
कालियुग राज सवाया ॥

धूप दीप नैवैध्य आरती
मोहन भोग लगाया ।
धानू भगत मैया तेरा गुण गावे
मन बांछित फल पाया ॥

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