दत्त दिगंबर की आरती
जय जय दत्त दिगंबर अत्रिऋषीपुत्रा।अनुसया निजबालक म्हणविसी जगमित्रा॥
जगदुद्भ वातिप्रलयां कारण आदिसुत्रा।
ब्रह्म चिदंबर सुरवरवंद्य तूं सुखवक्त्रा॥
जय देव जय देव जय दत्तात्रेया श्रीदत्तात्रया।
भवहर वंदित चरणां सद्गुरुवर सदया॥
भक्तिज्ञान विरागास्तव हे सन्मूर्ती।
नरसिंहा दिक म्हणविसि अपणा सरस्वति॥
यतिवर वेषा धरुनी रक्षिसि धर्मरिती।
दर्शनस्पर्शनबोधें पावन हे जगती॥
जय देव जय देव जय...॥
विधिहरि शंकररुपा त्रिगुणात्मक दीपा।
सच्चिन्मय सुखरुपा केवळ अरुपा।
स्थानत्रय देहत्रय तापत्रय कुणपा।
विरहित सर्व अपाधी निर्गत भवतापा॥
जय देव जय देव जय...॥
अगणित प्रलयांबूसम चिद्घन रुप तुझें।
बुब्दुवत जग सर्वहि जगदाभास सुजे॥
विवर्त सिद्धांत हे मृषाचि सर्व दुजे।
अर्द्वता करिं पावन निर्भय पादरजें॥
जय देव जय देव जय...॥
अज्ञानां धसमुद्रा करि शोषण भद्रा।
अनादि जीव कुनिद्रा पळविं तूं अमरेंद्रा।
निजजनच कोरचंद्रा अवगुण जडतंद्रा।
नाशय कुबुद्धि मौनी वंदित पदमुद्रा॥
जय देव जय देव जय...॥