वृश्चिक संक्रांति के दिन सूर्यदेव तुला राशि से वृश्चिक राशि में प्रवेश करते हैं। इसीलिए इस संक्रांति को वृश्चिक संक्रांति कहा जाता है। इस दिन सूर्य भगवान को अर्घ्य दिया जाता है। सुबह उठकर विष्णु पूजा और पवित्र नदी में स्नान किया जाता है। संक्रांति के दिन दान-पुण्य करना का बेहद खास महत्व माना जाता है। इसलिए बहुत से लोग इस दिन भी वस्तुएं और खान पान की चीजें गरीबों में दान करते है। वृश्चिक संक्रांति के दिन संक्रमण स्नान, विष्णु और दान का खास महत्व होता है।
वृश्चिक संक्रांति पूजा 2022 के तारीख व कैलेंडर:
त्यौहार के नाम | दिन | त्यौहार के तारीख |
---|---|---|
वृश्चिक संक्रांति पूजा | बुधवार | 16 नवंबर 2022 |
इस दिन श्राद्ध और पितृ तर्पण का भी खास महत्व होता है। वृश्चिक संक्रांति के दिन की 16 घड़ियों को बहुत शुभ माना जाता है। इस दौरान दान और पुण्य करना बहुत लाभकारी माना जाता है। यह दान संक्रांति मोमेंट में करना अच्छा माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार वृश्चिक संक्रांति में ब्राह्मण को गाय दान करने का खास महत्व होता है।